होलिका दहन

इतना कुछ जला लिया है हमने
डर के निशाचरों से
कि अधिक उज्वल हैं बादलों वाली रातें
पूरे चाँद की रातों से.

(पूरा चाँद निकला है आज, जाने कौन जला है.)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शायद यह सब

जुराब

तुम बिन, जाऊं कहाँ...