सोफ़िया-३०/ हम कहेंगे हाल-ए-दिल आप फ़रमावेंगे क्या

एक खुशबू थी
सीने से लगाना चाहता था जिसे
मेरी-सी लगती थी वह
जैसे मुझसे ही उठी हो
और मैं होऊं कस्तूरी हिरण.

पर वह कोई और थी
उड़ चली दूर
किसी और को रिझाने
लिपटने, बिखरने
किन्ही और शर्तों पर.

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