अर्थ भरना
एक दफा नाराजगी में तुमने एक ख़त लिखा था मुझे
नीले-नीले शब्द खिले थे एक कागज़ के पन्ने पर।
पढ़कर सुनाया तुमने
फिर नोच दी हर पखुंडी उसकी।
गुस्सा बहुत आया मुझे, आखिर मेरा था वह फूल अब
पर कर भी क्या सकता था मैं?
डायरी के पन्नों में आज
वह मुरझाई पखुंडियां मिली,
आज भी महकती है वे,
सीले सपनों से लड़ती हुईं।
नीले-नीले शब्द खिले थे एक कागज़ के पन्ने पर।
पढ़कर सुनाया तुमने
फिर नोच दी हर पखुंडी उसकी।
गुस्सा बहुत आया मुझे, आखिर मेरा था वह फूल अब
पर कर भी क्या सकता था मैं?
डायरी के पन्नों में आज
वह मुरझाई पखुंडियां मिली,
आज भी महकती है वे,
सीले सपनों से लड़ती हुईं।
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