थकन

कस रही है कुंडली
दम घुट रहा है
और उसी के साथ
सांस लेने की इच्छा भी।

अब और उठना नहीं
लड़ना नहीं,
सो जाना है, बस यहीं।

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मन की कुंडलियाँ है, मानो तो सब कुछ, मानो तो कुछ भी नहीं।

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