रौशनी

सूरज से रौशनी चुरा कर जल रहा है आज रात बादल
वैसी ही आग दिल में भी है
समय आ गया है इस आग को उस आग से मिलाने का
खुद को जला कर राख से आकाश भरने का
और दुनिया को लम्बी धुंध में डुबोने का।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शायद यह सब

जुराब

तुम बिन, जाऊं कहाँ...