बड़ा होना
मस्ती में झूमता
गधे पर सवार
एक मुस्टंडा अभी
चक्कर लगा गया
मेरे मोहल्ले का।
आज इन गलियों से
दौड़कर निकलता हूँ मैं,
पर कभी मैं भी
खुद में खोया
मस्ती में चलता था।
आज कोशिश की मैंने
फिर वैसे पल जीने की
पर भय के सिवा
कुछ हाथ न लगा।
गधे पर सवार
एक मुस्टंडा अभी
चक्कर लगा गया
मेरे मोहल्ले का।
आज इन गलियों से
दौड़कर निकलता हूँ मैं,
पर कभी मैं भी
खुद में खोया
मस्ती में चलता था।
आज कोशिश की मैंने
फिर वैसे पल जीने की
पर भय के सिवा
कुछ हाथ न लगा।
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