बारिश के बाद
कल रात
बारिश के बाद
पत्तों से टपकता पानी
कुछ कह रहा था,
सुना था तुमने?
कवियों की सी टोली में
भटकेंगे हम
दिन दिन बढ़ते कचरे में
कविताओं के पुर्जे मिलाते,
चलोगी तुम?
सडकों पर बने
गड्ढों में जमा पानी में
कुछ नाव तैराएँगे,
चलोगी ना?
बारिश के बाद
पत्तों से टपकता पानी
कुछ कह रहा था,
सुना था तुमने?
कवियों की सी टोली में
भटकेंगे हम
दिन दिन बढ़ते कचरे में
कविताओं के पुर्जे मिलाते,
चलोगी तुम?
सडकों पर बने
गड्ढों में जमा पानी में
कुछ नाव तैराएँगे,
चलोगी ना?
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