Withdrawal

हर रात,
दस बजते ही
चाँद वाली बुढ़िया चांदनी का एक तार मेरी खिड़की से बाँध देती
और उतर आती मेरे कमरे में,
अपनी टोकरी उठाए.

साथ बैठती, जाने कितनी देर
समय थम जाता,
और फिर अचानक एक छलांग लगा आगे निकल जाता
जीवन की आपाधापी से कुछ पल धुआं हो जाते.

फिर
अमावस आ गई.

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