गाल पे आंसू

अब तक याद है
तुम्हारे आंसुओं का स्वाद.
सिहरन भरी तुम्हारी सिसकियाँ
जैसे अभी उठ रही हैं,
और कुछ भाव उठकर
मेरे सिर में बस गए हैं,
सब के नाम पहचाने से
सब को कुछ कहना है,
एक-एक कर बोलते हैं
ढेर सारी छोटी-छोटी आवाजें
एक ऊंचा शोर.
एक अजनबी आवाज़.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तेरे कैनवस दे उत्ते

Fatal Familial Insomnia

विजय ऐसी छानिये...