गाल पे आंसू - 2
अब तक याद है
तुम्हारे आंसुओं का स्वाद.
सिहरन भरी तुम्हारी सिसकियाँ
जैसे अभी उठ रही हैं.
बस बाहें फैलाऊंगा
और तुम लिपट पडोगी,
हलकी सी गुदगुदी
और आंसुओं में से हसी उठ खड़ी होगी.
सोफे पर, उसकी गोद में सिर रखे लेटा था. और उसका आंसूं लुड़क कर मेरे गाल पर रुक गया था. फिर भी, पूछती है कि ये उसके बारे में है, या किसी और के!
तुम्हारे आंसुओं का स्वाद.
सिहरन भरी तुम्हारी सिसकियाँ
जैसे अभी उठ रही हैं.
बस बाहें फैलाऊंगा
और तुम लिपट पडोगी,
हलकी सी गुदगुदी
और आंसुओं में से हसी उठ खड़ी होगी.
सोफे पर, उसकी गोद में सिर रखे लेटा था. और उसका आंसूं लुड़क कर मेरे गाल पर रुक गया था. फिर भी, पूछती है कि ये उसके बारे में है, या किसी और के!
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