हैदराबाद
जब कभी छुट्टी मिलती है
आना ही पड़ता हैं
इस शहर में.
हर कोने में
कुछ यादें दुबकी बैठी हैं,
कहीं कहीं तो परतों में
खुशबुएँ भी कैद हैं,
सिलसिला चल पड़ता हैं
बस तुम्हारे जख्मों पर रुकता हैं.
बस
अब और न आऊंगा यहाँ.
आना ही पड़ता हैं
इस शहर में.
हर कोने में
कुछ यादें दुबकी बैठी हैं,
कहीं कहीं तो परतों में
खुशबुएँ भी कैद हैं,
सिलसिला चल पड़ता हैं
बस तुम्हारे जख्मों पर रुकता हैं.
बस
अब और न आऊंगा यहाँ.
टिप्पणियाँ
Natakalu voddu
P.S. : कृपया सिद्ध करें कि आप कोई रोबोट नहीं हैं: oodyPen
LOL
oodyPen