पगली पंक्तियाँ
कल्पवृक्ष की इस शाख पर
हर शाम निकल पड़ता हूँ
किसी कहानी की तलाश में.
कहानी तो मिलती नहीं,
हाँ, कभी-कभार ठण्ड ज़रूर लग जाती हैं.
उन रातों को
सपनों की गलियों से होकर
पहुँच जाता हूँ
कल्पवृक्ष की
किसी दूसरी शाखा पर.
वहां मिल जाती हैं
कुछ पगली पंक्तियाँ.
हर शाम निकल पड़ता हूँ
किसी कहानी की तलाश में.
कहानी तो मिलती नहीं,
हाँ, कभी-कभार ठण्ड ज़रूर लग जाती हैं.
उन रातों को
सपनों की गलियों से होकर
पहुँच जाता हूँ
कल्पवृक्ष की
किसी दूसरी शाखा पर.
वहां मिल जाती हैं
कुछ पगली पंक्तियाँ.
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