Blowback - 2
दौड़ रही है लाइटें
खिड़की से शीशे तक फैली,
सोचता हूँ मैं
किस ओर को चल रही होंगी
गाड़ियाँ, सड़क पर.
और लाइटों के पीछे
ठहरी एक छिपकली
जब आँख झपकता
तेज़ी से भाग लेती
पर जब भी देखता
जम जाती -
जमी ही रहती.
खिड़की से शीशे तक फैली,
सोचता हूँ मैं
किस ओर को चल रही होंगी
गाड़ियाँ, सड़क पर.
और लाइटों के पीछे
ठहरी एक छिपकली
जब आँख झपकता
तेज़ी से भाग लेती
पर जब भी देखता
जम जाती -
जमी ही रहती.
टिप्पणियाँ
ठहरी एक छिपकली
जब आँख झपकता
तेज़ी से भाग लेती
पर जब भी देखता
जम जाती -
जमी ही रहती.
अच्छी प्रस्तुति
vikram7: आ,मृग-जल से प्यास बुझा लें.....