यहाँ से बहुत दूर
एक मैदान हैं,
रोएँदार पौधों से भरा,
मीठी-सी खुशबू वाले
सीरप से ढका,
काले-भूरे कीड़े खाने वाला.
कभी-कभार
कुछ बड़े जीव भी
फँस जाते हैं उसमें,
सड़ते मांस की गंध
दिनों तक अटकी रहती है
घने कोहरे में.
वहीँ लौट चलेंगे हम
जब दिल भर जाएगा अ.
एक मैदान हैं,
रोएँदार पौधों से भरा,
मीठी-सी खुशबू वाले
सीरप से ढका,
काले-भूरे कीड़े खाने वाला.
कभी-कभार
कुछ बड़े जीव भी
फँस जाते हैं उसमें,
सड़ते मांस की गंध
दिनों तक अटकी रहती है
घने कोहरे में.
वहीँ लौट चलेंगे हम
जब दिल भर जाएगा अ.
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