एक मजदूर सड़क खोद रहा था आज रात जब मैं खाने निकला. अगर अन्दर एक कंकाल मिले तो क्या वह चीखेगा? दोस्त से पूछा मैंने - काला चश्मा लगाए एक खोपड़ी मिले अगर? वह बोला - चश्मा उतार कर फिर चीखेगा.
बारिश पहले भी आई हैं मेरे कमरे में खिड़की से उतर कर उछलती, गुनगुनाती. पर पहले कभी सीलन नहीं भरी उसने इन दीवारों में. हर दरार में भर गई हैं ठहरे पानी की गंध. और कांच पर उँगलियों के निशान नहीं सिर्फ कोहरा छाया है.