भय

सब सोचते हैं
कुछ बना लिया है
मैंने.
पर दरअसल
केवल अपने भय से
छुपने के तरीके
खोज रहा था
मैं.

टिप्पणियाँ

असुरक्षा भाव ने ही तो सदा दीवारें चिनी हैं,
अन्तःपुर बनाए हैं,
मकान खड़े किए हैं.

उन्हें घर बनाते हैं हम-तुम;
बल्कि घर बसाने पड़ते हैं.

बनाना
और
बसाना!

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