प्रेम - २
प्रिय अ
याद है तुम्हें
वह गुफा
सफ़ेद, बर्फीली पहाड़ी पर?
याद है
वह पुल पार कर
मुझ तक पहुँचना?
और फिर
मैंने देखा था
खुदको
तुम्हें गर्माहट पहुँचाते,
और तुमने
मुझे देखा
तुम्हें धकेलते
नीचे.
पर तुमने
वह वक़्त आने ही नहीं दिया.
उस पल से पहले ही
दीवारें खड़ी कर ली
अपने चारों ओर.
मौका ही नहीं दिया
वक़्त को
छीनने का.
याद है तुम्हें
वह गुफा
सफ़ेद, बर्फीली पहाड़ी पर?
याद है
वह पुल पार कर
मुझ तक पहुँचना?
और फिर
मैंने देखा था
खुदको
तुम्हें गर्माहट पहुँचाते,
और तुमने
मुझे देखा
तुम्हें धकेलते
नीचे.
पर तुमने
वह वक़्त आने ही नहीं दिया.
उस पल से पहले ही
दीवारें खड़ी कर ली
अपने चारों ओर.
मौका ही नहीं दिया
वक़्त को
छीनने का.
टिप्पणियाँ
Kajol ko dhakelo
;)