धारा
बीमार,
पीली पड़ी रोशनी
और सीलते पानी की गंध.
दीवार पर टँगा,
कैनवस पर उतरा
मैं -
कुछ पुराना -
दुखी, पर संतुष्ट.
इस ही दीवार में
उस दरवाजें को खोजता
जो खुलेगा
समय से परे.
अब,
जा चुकी है वह पेंटर
और दीवारों में,
जो बाहर रखती थी प्रकृति को,
कैद है
एक शिष्ट मनुष्य.
पीली पड़ी रोशनी
और सीलते पानी की गंध.
दीवार पर टँगा,
कैनवस पर उतरा
मैं -
कुछ पुराना -
दुखी, पर संतुष्ट.
इस ही दीवार में
उस दरवाजें को खोजता
जो खुलेगा
समय से परे.
अब,
जा चुकी है वह पेंटर
और दीवारों में,
जो बाहर रखती थी प्रकृति को,
कैद है
एक शिष्ट मनुष्य.
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