चीख - 3

गूँज भी
तुम्हारी आवाज़ की
अब सुनाई नहीं पड़ती.
थक गई है शायद
आराम चाहिए होगा उसे.
या
सिर पटक पटक
प्राण ही निकल गए होंगे अब तक शायद.

पर
सुनकर भी
अनसुना ही तो कर रहा था
फिर कैसा शोक
इस मौत पर.

टिप्पणियाँ

यूं होता तो क्या होता
त्यूं होता तो क्या होगा
सुना होता तो क्या होता
अनसुना किया तो क्या होगा ?????
Meenu Khare ने कहा…
अच्छी कविता.

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