वह जिसने कुछ खोया / कचरेवाला

चाहते हैं वे
मैं सुनूँ
सुनता रहूँ
आवाजें
मशीनों की
जो चल रही हैं
चारों ओर
हर ओर
बिना सहायता के.

कभी एक आवाज़ थी
मेरे पास भी
जवाब देती थी वह
पर अब
चुप रहती है वह
अभ्यास जो कुछ किया था
उससे बहुत आगे निकल आई हैं
ये सारी आवाजें.

पर फिर भी
भर रहा हूँ
अपना झोला
बड़ा होता झोला
मेरा झोला
मुझ-सा झोला
झोले-सा मैं
झोले वाला मैं
झोले में छुपा मैं
झोला
बहुत बड़ा झोला.

टिप्पणियाँ

''एक दिन मेरा भूदानी झोला/मुझसे बोला/ सुनो कविराज/ नाव जहाँ ठहरी है/ झील बहुत गहरी है...[तुलसी नीलकंठ की कविता का आरंभिक अंश.----बस ऐं-वें ई याद आ गया!]
Luv ने कहा…
कोई लिंक नहीं मिली
....मिल सकती है?

भूदानी झोला sounds very interesting...
Lipi ने कहा…
LMAO @sounds very interesting...

@poem : Nice, I like it. :)
एकला चलो रे!
झेलना वाला बडा झोला जो है :)
Luv ने कहा…
@lipi: no fair! It is!

Now, thats odd. U actually liking it.

@cmp uncle: Ekle to chalana hi hota hai, by default. :D
Lipi ने कहा…
@Luv : I was laughing how you said 'Sounds very interesting' in English and everything else in Hindi..

Yes, you finally wrote something good..
and not gross

Be happy now!

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तेरे कैनवस दे उत्ते

Fatal Familial Insomnia

विजय ऐसी छानिये...