वादी

एक दफा एक जंगल था
सुंदरबन जैसा
पर कई गुना बड़ा
और अनछुआ.

मैं वहाँ था,
कुछ ढूंढ रहा था,
याद नहीं पड़ता क्या.
तब वह भीड़ मिली मुझे
सब रो रहे थे,
मैंने पूछा क्यों,
कहने लगे
'हम सब
खो गए हैं
इस जंगल में,
बहुत डर लग रहा है
अकेले.'

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