हॉस्टल के साझे बाथरूम में एक कबूतर घुस आया था टंकी पर बैठा ही था कि लूसी झपटी उस पर. वह फुदकता रहा, इस दीवार से उस दीवार पर पर लूसी के पंजे से बच न सका. तीन मिनट बाद मुँह में कबूतर दबाए जब लूसी सीढ़ियों से उतरी, बाथरूम की फ्लोर पर एक छिपकली रेंग रही थी. वर्षभर बाद आज शीशों की दीवारों वाले बिना खिड़की के कांफ्रेंस रूम में एक कबूतर अचानक प्रकट हुआ, छत के बीचों बीच लगी एल ई डी लाइट से दो बार टकराया, दीवारों पर फुदका. हाथ में झाड़ू लिए एक कर्मचारी रूम का ताला खोल अंदर आया नकली छत के दो टाइल हटाए और झाड़ू से उस परदेसी को ऑफिस से बाहर धकेला. बिल्लियों के मारने से कबूतरों की संख्या में कोई कमी नहीं आती, वे तो बस बूढ़े - बीमार कबूतर ही खा पातीं हैं.
टिप्पणियाँ
par pehle kuchh angrezi ki poems padhani padengi...maine angrezi ki kavitaen zyaada padhi nahin hai. Can u suggest some nice collections? I like William S. Burroughs like prose, hope you have read him, or do u find his writing too gay?