सोफिया

धीमे धीमे धीमे
घोंट दिए तुमने सबके गले.

याद तो होंगी तुम्हें वे सब आवाजें?
माँ की? सुमी की?
और बाकी सब की?

जानता हूँ
अब थोड़े ही समय रहेगी
यह फुसफुसाहट भी.


एक.
बार.
फिर.
हर खिड़की पर.
दीवार.
हर दरवाज़े ताला.
काला पर्दा.
हाँ.
तुम.
सुरक्षित.
पहुँच से दूर.


पर.
पलंग तुम्हारा.
ठीक तो है ना?
आवाजें तो नहीं करता?
सोने तो देगा ना तुम्हें?
ह्

टिप्पणियाँ

Lipi ने कहा…
@ the first line : LOL

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