धूप

कोहरा अभी छंटा नहीं था,
जाकेट की बाँहों में
ठण्ड भर आई थी,
मुड़ा,
सामने सूरज दिखा
एक ऊँचे मकान के ऊपर.
गरमाहट की उम्मीद बँधी कुछ,
पर
उगता सूरज
पीछे छुप गया
पास आते मकान के.

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