वहीँ

उसी कमरे में बैठा
आज फिर काँच फोड़ रहा हूँ,
पर अब
और यहाँ नहीं रहतीं
तुम.

आओ
देखो मुझे बिखरते हुए,
टूटते हुए.
अच्छा लगेगा तुम्हें.
यह भयावह कहानियों का संग्रह.

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