ग्नोम*

तुम
अपनी आँखों के पीछे से
झाँक कर देखती हो
मेरे अनुभव.

आज तुम खुश हो,
आज नाखुश,
आज यादों में डूबी,
आज सपनों में.
आज गुलाबी है चश्मा,
आज है काला.

तुम
अपनी आँखों के पीछे से
झाँक कर देखती हो
मेरे अनुभव.

और खोलना चाहता हूँ उन्हें,
दिखाना चाहता हूँ तुम्हें,
पर
आज तुम खुश हो,
आज नाखुश,
आज यादों में डूबी हो,
तो आज सपनों में.

परत दर परत
चीरती गईं तुम
हर आवरण,
और जो बचा
छोटा-सा ग्नोम
उसे देखना,
उससे बात करना,
उसे सँवारना,
उसे महसूस करना,
रंगीन चश्मों के पीछे छुपी
आँखों के पीछे से
अनचाहा-सा हो गया.

सुना था कभी मैंने कि
कह दो तो झूठ हो जाता है प्यार,
पर ना कहो तो भी
कहीं खो जाता है प्यार.


*A gnome is a mythical creature characterized by its extremely small size and subterranean lifestyle. comes from genomos "earth-dweller"

टिप्पणियाँ

Venkatesh ने कहा…
The poetry written by Luv, has been of exemplary nature in content and form. The imagination of poet is beyond the established and popular expressions.Luv has developed a style of his own. The stylistics and the aesthetics of his poetry is totally different from the traditional form of the contemporary Hindi poetry, therefore his poetry has to read differently and has to be treated in a different way. The symbols which he chooses are so different and the allegory in which he describes his thgoughts are unique.

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