साथ
घड़ी
हँस रही है मुझ पर,
मैं भी
ऑंखें दिखा रहा हूँ उसे,
जलती हुई.
----------------------------
हाँ, साथ-साथ हैं हम,
तुम और मैं,
एक बार फिर
जाने कितनवी बार...
तुम्हारा दिल मेरे गुर्दे से,
तुम्हारा गुर्दा मेरे दिल से
जुड़ गया है.
हमारी रगों में
थोड़ा सर्दी का मौसम
अटक गया है.
ये हालात हमारे
बदलते ही नहीं,
फिर भी,
हाँ, साथ-साथ हैं हम.
हँस रही है मुझ पर,
मैं भी
ऑंखें दिखा रहा हूँ उसे,
जलती हुई.
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हाँ, साथ-साथ हैं हम,
तुम और मैं,
एक बार फिर
जाने कितनवी बार...
तुम्हारा दिल मेरे गुर्दे से,
तुम्हारा गुर्दा मेरे दिल से
जुड़ गया है.
हमारी रगों में
थोड़ा सर्दी का मौसम
अटक गया है.
ये हालात हमारे
बदलते ही नहीं,
फिर भी,
हाँ, साथ-साथ हैं हम.
टिप्पणियाँ
थोड़ा सर्दी का मौसम
अटक गया है."
अच्छा लिखा है. धन्यवाद.