देखी मूढ़ता इस मन की
तुम
मुझ जैसी-
आजाद,
ख़ुद से प्रेम-
सबसे अधिक.
और फिर,
तुम
तुम्हारी पसंद-
बदलने लगी,
मेरे लिए-
मेरी खुशी के लिए.
और तुम्हारी खुशी-
दब गई कहीं-
मेरी खुशी के तले.
और मैं,
होने देता यह?
पर,
मेरी आज़ादी?
दफना दूँ अपनी खुशी?
अब बस!
तुम और मैं,
दूर-दूर.
अब,
और क्या?
मुझ जैसी-
आजाद,
ख़ुद से प्रेम-
सबसे अधिक.
और फिर,
तुम
तुम्हारी पसंद-
बदलने लगी,
मेरे लिए-
मेरी खुशी के लिए.
और तुम्हारी खुशी-
दब गई कहीं-
मेरी खुशी के तले.
और मैं,
होने देता यह?
पर,
मेरी आज़ादी?
दफना दूँ अपनी खुशी?
अब बस!
तुम और मैं,
दूर-दूर.
अब,
और क्या?
टिप्पणियाँ