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काँव-काँव

मेरा कॉलर पसीने से तर था बीच बीच में एक आध बूँद पीठ पर लुढ़क पड़ती गरम हवा भी गीले बनियान में ठंडी लगती एक कौवा तार पर आ बैठा एकदम काला, एक-सा, रात-सा ग्लॉसी फिनिश थी उसकी कर्कश आवाज दी उसने मैं आगे चल दिया.