सागर किनारे
वह चलता है और साथ चलता है एक जाल, उसके ठीक पीछे ज़मीन पर घसिटता। बाल, खाल जो झाड़ते हैं जो छोटे छोटे टुकडे गिरते हैं, सब के सब फंस जाते हैं - सदा के लिए। किसी रात जब कहीं कोने में बैठा सब टुकड़ों को जोड़ खुदको बनाता है तो कुछ पहचान में न आने वाले टुकडे मिलते हैं, और कुछ छेद।